Tuesday, January 19, 2021

राम आसरे सरोज

दोस्तों आज मैं शहीद राम आसरे का अनुज अंशु आपको बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स BSF की 121वी बटालियन बेस्ट गारो  फान्डा हिल मेघालय  में तैनात शहीद राम आसरे सरोज की वीरता का अभिवादन करुंगा और उस तैनाती के दौरान वे आब्जरबेसन पोस्ट पर ड्यूटी दे रहे थे वहां पर उसी समय झाड़ियों में आतंकवादियों के छुपे होने की खबर मिलती है और वह वहां पर अकेले ही उनका सामना करने पहुंचे अकेले ही यह बीर सपूत आतंकवादियो के साथ जवाबी कार्यवाही की उन आतंकवादियों के दांत खट्टे कर दिए
आतंकवादी भी गोलियों की बौछार करने लगे लेकिन यह भारत माता का वीर सपूत जवाबी कार्यवाही करके उनको पूरी तरह से  हरा देते हैं आतंकवादियो के ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं यह कार्यवाही लगभग 10 मिनट तक चलती रही अकेला वीर आतंकवादियों का डटकर सामना करता रहा और अंततः गोली लगने से रामआसरे सरोज जी घायल हो जाते हैं लेकिन एक आतंकी को मार गिराये और उनकी गोलियों की बौछार से आतंकवादियों में से कई आतंकवादी बुरी तरह से घायल हो जाते हैं 6 आतंकवादी डर के मारे वहां से भाग जाते हैं लेकिन भाई शहीद रामआसरे सरोज जी भी बुरी तरह से घायल हो जाते हैं और अंततः अकेले लड़ते-लड़ते 31 जनवरी 2002 को उनको बीर गति प्राप्त होती है।
 जब घर वालों को जब यह दुखद घटना  पहुंचती है तो घरवालों में बहुत ही ज्यादा दुख सन्नाटा सा पसर जाता है उस समय उनके पिताजी गन्ने की पेराई कर रहे थे जब वह घटना सुनते हैं । तो वो वहीं बेहोस हो जाते हैं और पूरी तरह से उनका परिवार दुख से भर जाता है भाई राम बली राम अचल और राम बचन और उनकी पत्नी निर्मला देवी का बुरा हाल हो जाता है उनके तीनों बेटे 
कुलदीप जयदीप प्रदीप छोटे थे और उन लोगों को इतनी जानकारी नहीं थी और पास पड़ोस के लोग या घटना सुनकर बहुत व्यथित हो जाते हैं 
और BSF की सेना आकर  राजकीय सम्मान और सलामी के साथ इन बीर सपूत को रामपुर बेला में सड़क के किनारे अन्तिम दाह संस्कार कर देते हैं
वहीं पर उनकी समाधि बनाई गई है 
गांव का हर ग्रामीण चाहे वह गांव के अंदर आये या गांव के बाहर जाए बिना उनको सलामी दिए हुए वहां से नहीं जाता है
गांव का हर युवा आज उन्हीं से प्रेरणा लेकर भारत मां की सेवा करने के लिए आर्मी में भर्ती होना चाहता है
इन्ही शब्दों के साथ भारत माता की जय भैया शहीद रामआसरे अमर रहे